विभाजन के दौरान अपनी जवान और ख़ूबसूरत बेटी के गुम हो जाने के ग़म में पागल हो गई एक औरत की कहानी है 'ख़ुदा की क़सम'. उसने उस औरत को कई जगह अपनी बेटी को तलाश करते हुए देखा था. कई बार उसने सोचा कि उसे पागलख़ाने में भर्ती करा दे, पर न जाने क्या सोच कर रुक गया था. एक दिन उस औरत ने एक बाज़ार में अपनी बेटी को देखा, पर बेटी ने माँ को पहचानने से इनकार कर दिया. उसी दिन उस व्यक्ति ने जब उसे ख़ुदा की क़सम खाकर यक़ीन दिलाया कि उसकी बेटी मर गई है, तो यह सुनते ही वह भी वहीं ढेर हो गई....सआदत हसन मंटो उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए थे. साहित्य तक पर आज मंटो की जयंती पर यह आखिरी कहानी है...आज उनकी मशहूर कहानी 'ख़ुदा की क़सम' सिर्फ़ साहित्य तक पर.