जेब महंगाई से है मेरी खाली, दीपावली कैसे मने
बोलो कैसे सजाऊंगा मैं थाली, दीपावली कैसे मने
रोज़-रोज़ हो रहा है महंगा, डीजल और पेट्रोल यहां
गोल-गोल में वो के डिब्बों का भी डिब्बा गोल यहां
महंगा-महंगा सुनते-सुनते कान में छाला निकल गया
दिवाली पर सचमुच में इस बार दिवाला निकल गया
ऐसे हाल में बजाना मत ताली, दीपावली कैसे मने...दीपक सैनी से सुनिए दिवाली की यह हास्य कविता, सिर्फ साहित्य तक पर.