पहाड़ पर लोग पहाड़ का पानी पीते हैं
सरकार का पानी वहां तक नहीं पहुंचता
मातृ भाषा में कोई स्कूल नहीं पहुंचता
अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं पहुंचता
बिजली नहीं पहुंचती इंटरनेट नहीं पहुंचता
वहां कुछ भी नहीं पहुंचता
साहब जहां कुछ भी नहीं पहुंचता
वहां धर्म और गाय के नाम पर
आदमी के लिए इतना ज़हर कैसे पहुंचता है...साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2022' के मंच पर कई हस्तियों ने भाग लिया. लेखिका और कवयित्री जसिंता केरकेट्टा भी इस इस कुम्भ में शामिल हुईं थी जहां उन्होंने इस कविता को सुनाया आप भी सुनें सिर्फ साहित्य तक पर.