थोड़े से पैसे लिए
जो अपना ईमान बेचते हैं
वे क्या समझेंगे
पहाड़ों के लिए कुछ लोग
क्यों अपनी जान देते हैं... जसिंता केरकेट्टा की पहाड़ों की स्थिति को बयान करती यह कविता सुनें सिर्फ़ साहित्य तक पर.