देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर चुका है. सरकार इसका जश्न मना रही. हम नागरिक भी आयोजनों और खुशी की इस घड़ी में अपने सुख-दुख, निजी संघर्षों के बीच शामिल हैं. पूरा देश आजादी के इस जश्न में डूबा हुआ है. लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यह आजादी हमें कैसे प्राप्त हुई है. इस आजादी के लिए किन महान सपूतों ने अपनी कुर्बानी दी है. जश्न-ए-आजादी की इस पावन घड़ी में स्वतंत्रता दिवस के दिन तक साहित्य तक पर आप सुनिए, देखिए क्रांतिकारियों और देशभक्ति से जुड़ी बातें, किस्से, कहानियां, कविताएं और पुस्तक चर्चा भी. इस क्रम में साहित्य तक के बुक कैफे के 'एक दिन, एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने आनंद शर्मा के उपन्यास 'हिंदुआणा सूरज महाराणा प्रताप' की चर्चा की है.
स्वाधीनता संघर्ष के विश्ववंद्य, अतुलनीय, अपराजित योद्धा महाराणा प्रताप के सफल संघर्ष की वास्तविक कथा इतिहास- में दर्ज होने के बावजूद अनेक काल्पनिक कथाओं के द्वारा उसे धूमिल करने का प्रयास ही किया गया है. इस उपन्यास में आनंद शर्मा ने महाराणा प्रताप के घास की रोटी खाने, हल्दीघाटी युद्ध में शक्ति सिंह द्वारा प्राणरक्षा, युद्ध में जय-पराजय विवाद, भामाशाह द्वारा स्वयमोपार्जित अपार धन प्रदान करने जैसे अनेक जनप्रवादों का सच पर्याप्त शोध के पश्चात् सामने लाने का प्रयास किया गया है.
इस उपन्यास में आज के इस महानायक के बचपन से युवावस्था तक पिता महाराणा उदयसिंह की घोर उपेक्षा का शिकार रहने के बावजूद प्रताप के किशोरावस्था में ही अपने शौर्य प्रदर्शन से लेकर महाराणा बनने तक आए व्यवधान जैसे दर्जनों अज्ञात प्रकरण लेखक ने अथक शोध से सामने रखा है. कल्पना और तथ्यों के इस सम्मिश्रण से बने इस उपन्यास से पाठक को महाराणा प्रताप के अकल्पनीय संघर्ष की सच्चाई से अवगत होने का अवसर मिलेगा.
केवल यही नहीं, महाराणा द्वारा आविष्कृत 'छापाकार युद्ध के द्वारा आठ वर्षों तक प्रलयंकारी मुगल आक्रमणों के प्रतिकार में मिली सफलता के कारण विश्व भर में इस पद्धति का अनुसरण होता रहा. भारतवर्ष के गौरव महाराणा प्रताप के दुर्धर्ष संघर्ष, अप्रतिम संकल्पशक्ति और अपरिमेय जिजीविषा का यह प्रेरक विवरण हमारे वीर और प्रतापी सम्राटों के पराक्रम, साहस और शौर्य का जयघोष करेगा. प्रभात प्रकाशन से जुड़े उपक्रम ज्ञान गंगा प्रकाशन से प्रकाशित 214 पृष्ठों की इस उपन्यास के हार्ड बाउंड संस्करण का मूल्य केवल 400 रुपए है. आजादी के 75 साल पूरे होने पर अपने राष्ट्र नायकों के जीवन संघर्ष को जानने, समझने के लिए ऐसी पुस्तकें अवश्य पढ़ी जानी चाहिए.
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साहित्य तक का 'बुक कैफे' पुस्तक प्रेमियों को समर्पित कार्यक्रम है. पाठकों, प्रकाशकों, लेखकों से मिले प्यार और अनुरोध के बाद 'बुक कैफे' अब सप्ताह में पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक 'एक दिन, एक किताब' के रूप में आपके समक्ष आ रहा है. इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय हर दिन आपको एक नई किताब के बारे में बताते हैं. इस कार्यक्रम में आप कैसी किताबों की चर्चा चाहते हैं, इन पर अपनी राय हमें जरूर लिखें. अगर आप प्रकाशक हैं, तो आपके नए प्रकाशनों का स्वागत करने में हमें खुशी होगी, बशर्ते वे हमारी कसौटी पर खरा उतरें.