उत्स्व, उल्लास, उमंगों के दिन हैं
अबीर, गुलाल और रंगों के दिन हैं
भंग की मस्ती ठिठोली के दिन हैं
मंगल ही मंगल ये होली के दिन हैं...कवि पंकज शर्मा की होली के रंगों वाली कविता सुनिए सिर्फ साहित्य तक पर.