अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब - इस उपन्यास में ‘नीली' है. रंगहीन बीमार आंखों से रंग-बिरंगी दुनिया देखने की कोशिश करती, स्लीप पैरॉलिसिस जैसी बीमारी से जूझती नीली, जिसके लिए चारों ओर बहता जीवन, बाहर से निरोग और चुस्त दिखता जीवन अपना भीतरी क्षरण उधेड़ता चला जाता है. इस उपन्यास का आना जैसे अनिष्ट का रूप बदल-बदल कर आना है और आकर इन्सानियत को तार-तार कर देना है. छोटे से कलेवर में बड़ा वृत्तान्त रचता यह उपन्यास अपने दिलचस्प कथ्य, भाषा में 'विट' के कौशल और शिल्प के अनूठे प्रयोग से बांधता है तो चमत्कृत भी करता है.
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आज की किताबः 'अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब'
लेखक: अल्पना मिश्र
भाषा: हिंदी
विधा: उपन्यास
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 136
मूल्य: 395 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.