कौन कहेगा गलत है,
राधा और मीरा का प्यार सर-ए-आम
मेरा इश्क़ भी तो वैसा ही है
फिर क्यों मिलता नहीं मुझे आराम
मेरा श्याम, गुमनाम है
मैं नाचती हूं उसके लिए गली गली
गाती हूं, गुनगुनाती हूं
मैं उसके लिए हूं, उसके रंग में ढली
मैं मीरा उसकी, वो मेरा श्याम
मुझे अब नहीं चाहिए कोई अंजाम
मुझे प्यार है उससे
फिर क्यों मिलता नहीं मुझे आराम... कविता की यह पंक्तियां ईशा सिंगला के कविता- संग्रह 'मीरा सा इश्क़' में मौजूद 'फिर क्यों मिलता नहीं मुझे आराम' कविता से ली गई हैं. इस संग्रह को नोशनप्रेस ने प्रकाशित किया है. कुल 195 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 299 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.