कर भी क्या सकता था मैं बेबस था बस रोने लगा
मेरा बच्चा दस का सिक्का मांगता ही रह गया... शायर मोईन शादाब की उम्दा शायरी सुनें सिर्फ़ साहित्य तक पर.