मेरे Novels से ही हुआ मेरा पुनर्जन्म | Ashwin Sanghi Interview | बातें-मुलाकातें | Sahitya Tak | Tak Live Video

मेरे Novels से ही हुआ मेरा पुनर्जन्म | Ashwin Sanghi Interview | बातें-मुलाकातें | Sahitya Tak

'तुम तब तक लिख नहीं पाओगे जब तक तुम्हारे पेट में भूख है'. अपने शब्दों से हकीकत का स्पर्श कराने में उस्ताद कहानीकार अश्विन सांघी का कोई जवाब नहीं. उनकी कहानियां कल्पना की उड़ान भर अतीत को जीवंत कर देती हैं. भारत के पॉपुलर कहानीकार के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अश्विन सांघी भारत के उन गिने-चुने लेखकों में शुमार हैं, जिनकी भारत सीरीज की पुस्तकों की दस लाख से भी अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं. 'The Krishna Key', 'Chanakya's Chant', 'The Rozabal Line' और 'Keepers of the Kalachakra' जैसी चर्चित पुस्तकों के लेखक अश्विन सांघी की नवीनतम पुस्तक 'The Magicians of Mazda' जब आई तो साहित्य तक के खास कार्यक्रम 'शब्द-रथी' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने उनसे इस पुस्तक पर विस्तार से चर्चा भी की है. मगर इन उस्ताद कहानीकार के जीवन, लेखन और सृजन पर विस्तार से बात करना और हमारे दर्शकों को उनकी ज़िंदगी के महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू करवाना भी लाज़मी था. इसलिए आज शब्द-रथी के 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में मौजूद हैं अश्विन सांघी. अश्विन निश्चित रूप से एक जादूगर हैं. उनकी किताबें आपको महज़ सच्चाई से रूबरू नहीं कराती बल्कि आपको एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जो यहां से अलग है. अश्विन की यूं तो कई सारी पुस्तकें बेस्टसेलर रही हैं और इतना ही नहीं, उनके उपन्यास न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलर उपन्यासों में भी शुमार हैं. अपनी लेखन प्रकिया पर अश्विन कहते हैं कि 35 साल तक उन्होंने लिखने का सोचा तक नहीं. चूंकि वह एक व्यावसायिक परिवार से आते हैं, उनके पिता की भी यही इच्छा थी के वो बिज़नस संभाले. मगर उनके नाना और मां किताबें पढ़ने में रुचि रखते थे और वही एक ज़रिया बने जिन्होंने अश्विन को किताबों से जोड़ा. अपने पहले उपन्यास 'The Rozabal Line' पर अश्विन कहते हैं कि यह उपन्यास उन्होनें By Chance लिखा. थीसिस से उपन्यास में तब्दील हुए The Rozabal Line एक ऐसी दास्तां है जो इतिहास को उकेरते हुए एक आयाम तक पहुंचती है. चाहे वह 'भारत सीरीज़' हो या उनके अन्य उपन्यास, सभी थ्रिल, पौराणिक मान्यताएं, इतिहास के रोमांच के साथ भरी रहती हैं. अपनी निजी अनुभवों को साझा करते हुए दर्शकों को यह भी बता गए कि 'मैंने कहानियां नहीं ढूंढ़ी है, कहानियों ने मुझे ढूंढ़ा है.' इन्हीं अनुभवों, किस्सों और कहानियों पर साहित्य तक के सर्वाधिक प्रतिष्ठित कार्यक्रम 'बातें-मुलाकातें' में आज वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने उपन्यासकार अश्विन सांघी से यह ख़ास बतकही की है. आप भी सुनिए सिर्फ साहित्य तक पर.