आशिकी आज की होती तो भुला लेते
भुला लेते तो किसी और को बाहों में सुला लेते
ये उर तो कब से खाली पड़ा है मेरा
कोई उर्वशी होती तो इसे फिर से बसा लेते... 'साहित्य आज तक लखनऊ 2024' में आयोजित माइक के लाल में सुनें आदित्य की शानदार ग़ज़ल सिर्फ साहित्य तक पर.