दासियां किस खेत में उगती थीं... Aarti का कविता- संग्रह 'मूक बिम्बों से बाहर' | Sanjeev Paliwal | Tak Live Video

दासियां किस खेत में उगती थीं... Aarti का कविता- संग्रह 'मूक बिम्बों से बाहर' | Sanjeev Paliwal

हर कहानी में कोई राजा और

उसकी खूबसूरत रानियां थीं

राजकुमार और राजकुमारियां भी थीं हर कहानी में

एक दिन राजकुमारी की शादी पूरे देश के

बहुत ही रूपवान, पराक्रमी राजा से होती है

राजा अपनी बेटी को विदा करते हुए

बहुत सारा धन घोड़े, हाथी और हज़ारों दासियां भी देते हैं


मैं कहानी को थोड़ा रोककर पूछती हूं कि बताओ!

ये हज़ारों- लाखों दासियां कहां से आती थीं

क्या राजा के किसी खेत में उगाई जाती थीं

या जंगलों से बीन कर लाई जाती थीं

या कि चट्टानों से तराशकर बनाई जाती थीं

कहानी मेरी ओर आंख तरेरकर देखती है... यह पंक्तियां आरती के कविता- संग्रह 'मूक बिम्बों से बाहर' से ली गई हैं. इस संग्रह को राधाकृष्ण पेपरबैक्स ने प्रकाशित किया है. कुल 128 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.