उदासियों में उत्सव का सर्जक | Yatindra Mishra से 'गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं' पर बातचीत | Tak Live Video

उदासियों में उत्सव का सर्जक | Yatindra Mishra से 'गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं' पर बातचीत

- अच्छा और कालजयी काम बहुत धैर्य की मांग करता है

- कई बार बड़ी बातों का कोई मतलब नहीं होता

- गाड़ियों के गैराज से बिमल राॅय के स्टूडियो तक गुलज़ार का पहुंचना

- गुलज़ार पर काम करने से मुझमें भाषा की तमीज़ आ गई है

- मैं साहित्यकारों, संगीतज्ञों के बीच पला- बढ़ा

- लेखक को उतनी स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपने मन की बात लिख सके

- हमेशा, हर बात कह दी जाए, ये ज़रूरी नहीं... यह कहना है जाने- माने हिंदी कवि, संपादक और सिनेमा अध्येता यतीन्द्र मिश्र का.

मशहूर शायर, गीतकार, लेखक, फिल्मकार गुलज़ार पर यतीन्द्र मिश्र की बहुप्रतीक्षित पुस्तक 'गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं' वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई है. यह पुस्तक अपने आप में अनूठी है. यह न केवल गुलज़ार के जीवन की बात करती है बल्कि उनके लेखन और सिनेमा सफ़र पर भी एक बारीक नज़र डालती है. यतीन्द्र इस किताब के परिचय में लिखते हैं 'गुलज़ार एक ख़ानाबदोश किरदार हैं, जो थोड़ी दूर तक नज़्मों का हाथ पकड़े हुए चलते हैं और अचानक अफ़सानों की मंज़रनिगारी में चले जाते हैं. फ़िल्मों के लिए गीत लिखते हुए कब डायलॉग की दुनिया में उतर जाते हैं, पता ही नहीं चलता. वे शायरी की ज़मीन से फ़िल्मों की पटकथाएं लिखते हैं, तो अदब की दुनिया से क़िस्से लेकर फ़िल्में बनाते हैं. अनगिनत नज़्मों, कविताओं, ग़ज़लों और फ़िल्म गीतों की समृद्ध दुनिया है गुलज़ार के यहां, जो अपना सूफ़ियाना रंग लिये हुए शायर का जीवन-दर्शन व्यक्त करती है. इस अभिव्यक्ति में जहां एक ओर हमें कवि के अन्तर्मन की महीन बुनावट की जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर सूफ़ियाना रंगत लिये हुए लगभग निर्गुण कवियों की बोली- बानी के क़रीब पहुंचने वाली उनकी आवाज़ या कविता का स्थायी फक्कड़ स्वभाव हमें एकबारगी उदासी में तब्दील होता हुआ नज़र आता है.' यूं तो गुलज़ार जैसी शख्सियत पर कुछ भी लिखना किसी समुद्र में बाल्टी भर पानी डालने जैसा है मगर यह किताब उनकी ज़िंदगी के उन अनछुए पहलू को स्पर्श करती है, जिससे हम और आप शायद अंजान हों.लेखक यतीन्द्र मिश्र का रचना संसार बहुत विस्तृत है. चार कविता संग्रहों के अलावा आपकी शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी पर 'गिरिजा', नृत्यांगना सोनल मानसिंह से संवाद पर 'देवप्रिया', शहनाई उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ां के जीवन व संगीत पर 'सुर की बारादरी' तथा पार्श्वगायिका लता मंगेशकर की संगीत यात्रा पर 'लता: सुर-गाथा' पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं. 'लता: सुर-गाथा' पर आपको राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है. इतना ही नहीं, मामी फ़िल्म पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, रज़ा सम्मान, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, स्पन्दन ललित कला सम्मान जैसे तमाम प्रतिष्ठित सम्मान भी आपको प्राप्त हैं. इन उपलब्धियों से आप यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यतीन्द्र की लेखन शैली किस हद तक निपुण है. आज साहित्य तक के खास कार्यक्रम 'शब्द- रथी' में यतीन्द्र मिश्र संग उनकी पुस्तक 'गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं' पर वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह खास चर्चा आपको गुलज़ार के गीत, लेखन और उससे भी बढ़कर उनकी शख्सियत से रूबरू कराएगी. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस कृति का मूल्य है 1995 रुपए. साहित्य तक पर आप भी सुनें यह खास बातचीत.