क्या एक औरत का दुख नदी के दुख जैसा नहीं? SR Harnot की पुस्तक 'नदी-रंग जैसी लड़की' से जानें | EP 505 | Tak Live Video

क्या एक औरत का दुख नदी के दुख जैसा नहीं? SR Harnot की पुस्तक 'नदी-रंग जैसी लड़की' से जानें | EP 505

मनुष्य विकास की होड़ में इस कदर आगे बढ़ चुका है कि वह यह भूल चुका है कि प्रकृति ही उसकी कर्ता-धर्ता है. गांधी जी ने सालों पहले कहा था कि 'प्रकृति के पास सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन वो किसी की लालच को पूरा नहीं कर सकती.' आज के दौर में भी यही हो रहा है. प्रकृति का निरंतर दोहन मनुष्य जीवन के लिए खतरा बन मंडरा रहा है. और प्रकृति की इसी चिंता को उजागर करती है एस आर हरनोट की उपन्यास 'नदी-रंग जैसी लड़की'. नदी-रंग जैसी लड़की एस.आर. हरनोट का दूसरा उपन्यास है. हरनोट हिन्दी के विरले कथाकार हैं, जिनके पास हिमाचली जीवन की अछूती और अनूठी कथाओं का भरा-पूरा ख़ज़ाना है. पहाड़ में जीवन पहाड़ जैसा कठोर और बड़ा होता है, उसकी सुन्दरता केवल दूर से दिखाई देती है, निकट आने पर अनेक प्रकार के दुख और अभाव दिखाई देते हैं. दुष्कर और अभाव भरे जीवन के तमाम क़िस्से हरनोट की इस उपन्यास से जीवन्त हो उठते हैं. नदी-रंग जैसी लड़की उपन्यास में सुनमा दादी पात्र के बहाने हरनोट पहाड़ का दुख, वहां की कठिनाई बयान करने का प्रयत्न करते हैं. इस उपन्यास में हरनोट यह भी बताने का प्रयास करते हैं कि कैसे एक औरत का दुख नदी के दुख के समान है. औरत और नदी के जीवन में काफ़ी कठिनाइयां हैं जो सिर्फ़ वह ही समझ सकते हैं. मूलतः यह उपन्यास हिमाचल के दर्द की कथा कहती है. और तो और यह उपन्यास विकास की आंधी के नाम पर पहाड़ों के नष्ट होने एवं वहां के समाज और संस्कृति के खोने पर छलके दर्द को बयां करती है. आज बुक कैफे के 'एक दिन एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने एस आर हरनोट की 'नदी-रंग जैसी लड़की' कृति पर चर्चा की है. यह पुस्तक वाणी प्रकाशन से प्रकाशित है. 236 पृष्ठ समेटे इस पुस्तक का मूल्य 499 रुपए है.