बचा भी नहीं कुछ और इलाज भी नहीं हुआ
किसी की आंखो में फसे मैं फिर कभी बीमार भी नहीं हुआ
लोग तरसते थे मैं नाराज ना हो जाऊं
एक मेरी जान तुझसे ही मैं नाराज नहीं हुआ...साहित्य तक द्वारा आयोजित इंडिया टुडे मीडियाप्लेक्स स्थित ऑडिटोरियम में 'माइक के लाल: सीज़न-2' ओपेन माइक इवेंट में 'विशाल लिखारी ' द्वारा पढ़ी गई ये शायरी आप भी सुनिए. इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी साहित्य तक के सभी डिजीटल मंच पर एक साथ किया गया था. हम 'साहित्य तक- माइक के लाल' के तहत ओपन माइक में पढ़ी गई उन रचनाओं को यहां भी प्रसारित कर रहे हैं. विशाल द्वारा इस मंच पर पढ़ी गई शायरी 'एक मेरी जान तुझसे ही मैं नाराज नहीं हुआ...' को आप भी सुन सकते हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. युवा प्रतिभाओं को मंच दिलाने की साहित्य तक की इस मुहिम से जुड़े रहिए, और हर दिन यहीं, इसी वक्त सुनिए माइक के लाल की उम्दा प्रस्तुतियां.