जिस तरह, किसी नारी का सौंदर्य... Sudhir Aazad | किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना | EP 1015 | Sahitya Tak | Tak Live Video

जिस तरह, किसी नारी का सौंदर्य... Sudhir Aazad | किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना | EP 1015 | Sahitya Tak

बहुत पहले

यहां बीचोबीच गांव में

एक पेड़ हुआ करता था बरगद का

गांव का बुजुर्ग था वो

बूढ़ा बरगद


कोई मसला हो

कोई मुश्किल हो

सारे गांववाले

उसके साये में बैठ जाते थे

और हर बार ढूंढ़ लेते थे

कोई न कोई समाधान

कितना सहज, कितना आसान


लेकिन दौर बदला और ग़ज्जब बदला

घर, आंगन, खेत, कुआं सब बदला

हर मसले और हर मुश्किल का

समाधान देता था जो बरगद

वो गांववालों को समस्या लगने लगा


बूढ़े बरगद को काटा

गिराया और फिर

एक सीमेंट का पक्का चबूतरा बना दिया

पहले जहां बरगद के साये में मसले निपट जाते थे

अब वहां उस चबूतरे पर रोज़ नये मसले होते हैं.... यह कविता सुधीर आज़ाद के संग्रह 'किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना' से ली गई है.


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आज की किताबः किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना

लेखक: सुधीर आज़ाद

भाषा: हिंदी

विधा: कविता

प्रकाशक: वाणी प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 100

मूल्य: 200 रुपये


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.