पर्दे के पीछे Ratan Tata का जीवन जानें Shantanu Naidu की 'I Come Upon a Lighthouse' से | Sahitya Tak | Tak Live Video

पर्दे के पीछे Ratan Tata का जीवन जानें Shantanu Naidu की 'I Come Upon a Lighthouse' से | Sahitya Tak

हम सब ने टाटा समूह के कर्ता-धर्ता एवं भारतीय उद्योग के महानायक रतन टाटा का नाम ज़रूर सुना होगा, और निश्चित तौर पर हम उनके सामाजिक एवं मानवीय कार्यों की चर्चाएं चहुंओर सुनते होंगे. मगर क्या आप यह जानते हैं कि इतने बड़े पद पर और व्यस्त होने के बाद भी रतन टाटा आम इंसान की तरह रहना पसंद करते हैं. उनकी संवेदनशीलता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने समूह के कार्यों से इतर, अनेकों सामाजिक कामों में अपना योगदान करते आए हैं. संवेदनशीलता हमारे व्यक्तित्व का प्रदर्शन करती है. मनुष्य इस धरती पर सबसे समुन्नत जीव इसलिए है क्योंकि उसका संवेदना, सेवा और विवेक से गहरा नाता है. आज के दौर में हम यह अक्सर देखते हैं कि आदमी अपनी संवेदना को खो चुका है, उसे फर्क नहीं पड़ता कि सड़क किनारे कोई आदमी गिरा पड़ा है या जानवर. वह बस अपनी ही धुन में चलता रहता है. रतन टाटा की कुछ ऐसे ही पहलुओं जो कि आम जन को शायद ही पता हो, पर नज़र डालती है शांतनु नायडू की किताब 'I Come Upon a Lighthouse'. हिंदी में यह पुस्तक 'रतन टाटा- एक प्रकाश स्तंभ' नाम से प्रकाशित हुई है. शांतनु कहते हैं, "भारतीय उद्योग के महानायक के मानवीय पहलुओं का कथाचित्र लिखने की सोचा तब मैंने उनसे कहा कि जब मैं किताब लिखूंगा, तो वह केवल ऐतिहासिक घटनाओं या कारोबार के महत्त्वपूर्ण आयाम के संबंध में नहीं होगी, बल्कि मैं आपके दूसरे पहलू को सामने लाना चाहूंगा. यह हम दोनों के और उस रोमांचक समय के बारे में होगी जो हम दोनों ने साथ में जिया है - जैसा मैंने उनको देखा, उनके जीवन के अलग-अलग रंग जिनसे दुनिया अपरिचित है. भारत के महान वज्र पुरुष के पर्दे के पीछे के जीवन को लेकर किताब में योगदान देने को रतन टाटा तैयार हो गए. ऐसी कोई एक किताब नहीं हो सकती जिसमें सभी कुछ समा सके, तो मैंने उनसे आग्रह किया कि वह अपना द़ृष्टिकोण इसमें रखें."

ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर शांतनु नायडू ने सड़कों पर रहने वाले बेसहारा कुत्तों को गाड़ियों द्वारा कुचले जाने से बचाने के लिए अनोखी पहल की. रतन टाटा ख़ुद भी इन बेसहारा कुत्तों के प्रति गहरी हमदर्दी के लिए जाने जाते हैं. शांतनु की अनोखी पहल से प्रभावित होकर उन्होंने न केवल इस परियोजना में निवेश किया बल्कि आगे चलकर वे इसके संरक्षक व प्रमुख बनने के साथ ही अप्रत्याशित रूप से शांतनु के प्रिय दोस्त भी बन गए. यह पुस्तक एक नौजवान और जीवन के आठ दशक पूरे कर चुके बुज़ुर्ग के बीच अनूठे रिश्ते का ईमानदार, सहज-सरल वृत्तान्त है जो भारतीयों के दिल में बसे महानायक के जीवन की एक अनोखी झलक दिखाता है. शांतनु ने उनकी यह पुस्तक उनके कुत्ते विंटर को समर्पित की है. आज साहित्य तक के बुक कैफे के 'एक दिन, एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने शांतनु नायडू की किताब 'I come upon a lighthouse' की चर्चा की है, जिसका हिंदी अनुवाद अखिलेश अवस्थी ने किया है. यह पुस्तक 'रतन टाटा- एक प्रकाश स्तंभ' नाम से मंजुल पब्लिकेशंस से प्रकाशित हुई है, जिसमें चित्रांकन संजना देसाई ने किया है. इस पुस्तक में कुल 20 अध्याय हैं जिसके पृष्ठों की संख्या 232 है और इसका मूल्य 399 रुपए है.