क्या है जाति? जाति-व्यवस्था कैसे बनी?
मानव शास्त्र है या फिर विज्ञान?
भारतीय संस्कृति में जातियों का क्या इतिहास है?
वर्ण व्यवस्था व वरण व्यवस्था में क्या अंतर है?
आदिवासियों से क्या सीखने को मिला?
इतिहासकारों से आपको इतनी चिढ़ क्यों है?
नई शिक्षा नीति आपको कैसी लगती है?
भारत का भविष्य कौन सुधारेगा?
रूढ़ियां कब टूटेंगी?
एक आदर्श मानव की क्या पहचान है?
क्या राजनीतिज्ञ तौर पर गांधी जी असफल रहे?
भारत के लिए जाति बड़ी समस्या है या फिर धार्मिक कट्टरता?
साहित्य तक स्टूडियो में हमारे खास कार्यक्रम 'बातें-मुलाकातें' में आज नरेश कुमार वैद्य उर्फ घुमंतू शिक्षाविद् ने ऐसे कई मुश्किल सवालों के जवाब दिये. उन्होंने गरुड़ प्रकाशन से प्रकाशित अपनी पुस्तक 'कास्ट का सत्य' पर चर्चा के बहाने जीवन, विचार, अकादमिक और सेवा-यात्रा के बारे में भी बताया. यह पुस्तक अंग्रेज़ी में The Truth About Caste नाम से प्रकाशित हुई थी, जिसका हिंदी अनुवाद सौरभ अग्रवाल ने किया है.
वैद्य एक प्रतिष्ठित पूर्व पत्रकार, विनीत एवं मृदुभाषी सामाजिक कार्यकर्ता, सुशिक्षित एवं सत्यान्वेषी लेखक, शिष्ट संपादक और भद्र प्रकाशक भी हैं. उनके शिष्यों की एक लंबी सूची है, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता सभी शामिल हैं. बावजूद इसके वैद्य अपने को अब भी प्रशिक्षु ही मानते हैं. आपने 1976 में मानव विज्ञान विषय में एम.एस.सी. (ऑनर्स) की शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से गृहीत की और तत्पश्चात् दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रख्यात प्रोफेसर एस. सी. तिवारी के अधीन शोध किया. आपने उत्तराखंड के भोटिया और वन राजी, झारखंड के बिरहोर, छत्तीसगढ़ के पहाड़ी कोरवा और सहरिया इत्यादि समुदायों के मध्य व्यापक फील्डवर्क किया है.
दशकों से सामाजिक सेवा कार्य एवं सामाजिक परिवर्तन में कार्यरत रहने के पश्चात आपने यह अनुभव किया है कि दलित, शोषित, वंचित समुदायों के सतत पिछड़ेपन का मूल कारण 'भारतीय सामाजिक व्यवस्था' का उचित परिप्रेक्ष्य में अध्ययन नहीं होने में निहित है, अतः आपने यूट्यूब चैनलों के माध्यम से 'भारतीय सामाजिक विज्ञान' का 'भारतीयकरण' करने की कोशिश की है. आप छोटानागपुर, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के दलित, शोषित एवं वंचित समुदायों के सम्मान, स्वाभिमान एवं उत्थान को दृष्टिगत रखते हुए उनके मध्य 'एक्शन एंथ्रोपोलॉजी' से सक्रिय और गंभीर सहभागी के रूप में जुड़े हैं.
तो साहित्य तक पर सुनिए नरेश कुमार वैद्य संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की ये खास बातचीत.