अगर बुज़ुर्गों की निशानी जाएगी
फिर तो शोहरत खानदानी जाएगी
रास्ते जाते नहीं मंज़िल तलक
अब कहां तक खाक छानी जाएगी...Mike ke Lal Kolkata में कृष्ण कुमार दुबे ने सुनाई शानदार ग़ज़ल... सुनें साहित्य तक पर.