'नीला चाँद' के सर्जक का जीवन | Mandhata Rai द्वारा संपादित 'स्मृतियों में शिव प्रसाद सिंह' | EP 1064 | Tak Live Video

'नीला चाँद' के सर्जक का जीवन | Mandhata Rai द्वारा संपादित 'स्मृतियों में शिव प्रसाद सिंह' | EP 1064

शिवप्रसाद सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने सृजनात्मक और विवेचनात्मक गद्य के क्षेत्र में लगभग पांच दशकों तक निरंतर लेखन करते हुए जो बहुमूल्य योगदान किया वह अविस्मरणीय है. पहली कहानी 'दादी माँ' से हिंदी कथा-साहित्य में उन्होंने जो पहचान बनाई वह दस कहानी संग्रहों और आठ उपन्यासों तक निखरती चली गई. सिंह ने 'सूर-पूर्व ब्रजभाषा', 'कीर्तिलता और अवहट्ठ भाषा' और 'रसरतन' के विद्वतापूर्ण संपादन से शोध के क्षेत्र में एक कीर्तिमान बनाया. ललित निबंध के छह संग्रहों के साथ वे पं हजारीप्रसाद द्विवेदी और पं विद्यानिवास मिश्र की पंक्ति में अलग से पहचाने जाते हैं. उन्होंने कामू-सार्त्र आदि अस्तित्ववादी दार्शनिकों के चिंतन की थाह ली तो 'उत्तर योगी' नाम से श्री अरविंद की अद्वितीय जीवनी भी लिखी. प्राचीन मध्ययुगीन और आधुनिक युग की काशी पर तीन उपन्यास लिखे जिनमें से एक 'नीला चाँद' को साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी मिला. यह उपन्यास जहां मध्यकालीन काशी का आख्यान कहता है, वहीं 'वैश्वानर' आदिकालीन काशी और 'गली आगे मुड़ती है' आधुनिक काशी की झलक देता है. डॉ शिवप्रसाद सिंह जितने बड़े लेखक थे, उतने ही बड़े चिंतक, प्रोफेसर और सबसे बढ़कर एक मनुष्य.


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आज की किताबः 'स्मृतियों में शिव प्रसाद सिंह'

संपादक: मान्धाता राय

भाषा: हिंदी

विधा: संस्मरण

प्रकाशक: प्रतिश्रुति प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 222

मूल्य: 399 रुपये


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए इस पुस्तक की चर्च