सितम की आग को बेशक मैं ही बुझाऊंगी
छिपी है मुझमें भी दुर्गा ये दिखाऊंगी
दिलों में पाप लिए फिर रहे असुर कितने
ज़मीं को ज़ुल्म से एक दिन बरी कराऊंगी...चांदनी पांडे की शानदार कविता का ये वीडियो देखिए साहित्य तक पर.