मीरां सदियों से इतिहास की इस जीवित परम्परा में मौजूद है, लेकिन पश्चिमी विद्वत्ता की 'हिस्ट्री' कसौटी पर उसका ऐतिहासिक अस्तित्व सन्दिग्ध है।
आज की किताबः वैदहि ओखद जाणै: मीरां और पश्चिमी ज्ञान-मीमांसा
लेखक : माधव हाड़ा
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 158
मूल्य: 250 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.