महावीर राजी के संग्रह 'ठाकुर का नया कुआं' की अधिकांश कहानियां अच्छे दिनों की बाट जोहते हाशिये पर खड़े तलछट के लोगों के संघर्षों पर बुनी गई हैं. कहानियों के कई पात्र अभाव, यातना, संघर्ष और प्रतिरोध के चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्युओं की तरह हमारे इर्द-गिर्द डोलते नजर आयेंगे. कहानियों में बेशक पतनशील समाज और समय के खिलाफ युद्ध की मुखर घोषणा न हो, पर इनके मूल स्वर में प्रतिरोध की छटपटाहट गुलाब में खुशबू की तरह अवश्य मिलेगी.
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आज की किताबः ठाकुर का नया कुआं
लेखक: महावीर राजी
भाषा: हिंदी
विधा: कथा-संग्रह
प्रकाशक: न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन
पृष्ठ संख्या: 128
मूल्य: 225
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.