यादें- सिर्फ और सिर्फ यादें...
यह किताब यादों के इर्द-गिर्द घूमती है - खास तौर पर, वे महत्त्वपूर्ण यादें जो जीवन में लोगों से मेलमिलाप के दौरान स्मृतियों में बस जाती हैं. पत्रकार और लेखक पाठक अपनी इस स्मृति-यात्रा के दौरान, लेखक ऐसे शिखर-पुरुषों से मिले जो कविता, कहानी, उपन्यास, गजल, नवगीत, फिल्म, पत्रकारिता, रंगमंच, कवि सम्मेलन, संपादन, राजनीति और समाज के नायक थे और रहेंगे. इन प्रभावशाली हस्तियों में डॉ धर्मवीर भारती, वीरेंद्र मिश्रा, वनमाला, मोतीलाल वोरा, नारायण दत्त, कमलेश्वर, सागर सरहदी, गणेश मंत्री, सुदीप, चित्रा मुद्गल, राजेंद्र शर्मा, निदा फाजली, नरेंद्र कोहली, पद्मा सचदेव, ओम प्रभाकर, अनिल धारकर, बंसी कौल के साथ-साथ प्रदीप चौबे, जहीर कुरैशी, आलोक तोमर, कैलाश सेंगर और दिनेश तिवारी जैसे उनके निजी परिचित शामिल हैं, जिन्होंने उनके सुख-दुख में हमेशा हिस्सा लिया है. यादों का यह समृद्ध जाल हमें सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत के करीब लाता है, जिससे हम अपने जीवन में उनकी स्थायी उपस्थिति को महसूस कर पाते हैं, हालांकि यह एक भ्रम भी हो सकता है.
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आज की किताबः मेरा आकाश मेरे धूमकेतु (यादों के दरीचे)
संपादक: हरीश पाठक
भाषा: हिंदी
विधा: शायरी
प्रकाशक: प्रतिभा प्रतिष्ठान
पृष्ठ संख्या: 232
मूल्य: 400 रुपये
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.