बंगाली माई का चमत्कार, छात्र-आंदोलन, रेलवे का 'चक्का जाम' व समय को दर्ज करता Gautam Choubey का Novel | Tak Live Video

बंगाली माई का चमत्कार, छात्र-आंदोलन, रेलवे का 'चक्का जाम' व समय को दर्ज करता Gautam Choubey का Novel

‘चक्का जाम’ की क़िस्सागोई बहा ले जाती है. देवानंद दूबे की इस दुनिया में बंगाली माई का चमत्कार भी है और आज़ाद भारत में बचे एंग्लो-इंडियन समुदाय की त्रासदी भी, हवा में उड़ते संन्यासी भी हैं और छात्र-आन्दोलन को संरक्षण देती गृहिणियां भी. यह उपन्यास एक बड़े देश की बड़ी घटनाओं में उलझे इनसान के छोटे सपनों की कहानी है. यहां व्यक्तिगत आदर्श पारिवारिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक आदर्शों की छाया से दूर, खुले आकाश में आज़ाद खिलने को बेचैन हैं. यह मासूम बेचैनी इस उपन्यास में कुछ इस तरह उभरती है कि पात्र, घटनाएं और उनकी बोली-बानी पाठकों के दिल-दिमाग में हमेशा के लिए दर्ज हो जाती हैं.


***


आज की किताबः ‘चक्का जाम’

लेखक: गौतम चौबे

विधा: उपन्यास

भाषा: हिंदी

प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 222

मूल्य: 350 रुपये


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए इस पुस्तक की चर्चा.