हादसा तो बस इक बहाना था
रूह को जिस्म छोड़ जाना था
बे-असर सब दवाएं होती रहीं
ज़ख़्म कम-बख़्त भी पुराना था...शायर मोहम्मद अली साहिल के शानदार मिसरे आप भी सुनिए सिर्फ साहित्य तक पर.