मांएं, जिन्होंने देश पर कुर्बान कर दिए अपने लाल | Sudhir Vidyarthi की ‘बिदाय दे मा!’ | Sahitya Tak | Tak Live Video

मांएं, जिन्होंने देश पर कुर्बान कर दिए अपने लाल | Sudhir Vidyarthi की ‘बिदाय दे मा!’ | Sahitya Tak

यह पीड़ा और बलिदान की कहानी है. ‘बिदाय दे मा!’ पुस्तक उन वीरांगनाओं की गाथा है, जिनके लाल इस देश की स्वतंत्रता और मान की खातिर कुर्बान हो गए. लेखक सुधीर विद्यार्थी ने इस पुस्तक में शोध से बहुत सारे तथ्यों को जुटाया भी है. उन्होंने कई महान देशभक्तों की शहादत के बाद उनकी माताओं के अभावपूर्ण जीवन की भी चर्चा की है. खास तौर से रामप्रसाद बिस्मिल की माता की कहानी का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है. ‘बिदाय दे मा!’ पुस्तक में जिन अमर शहीदों की माताओं का जिक्र है उनमें रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खां, शचींद्रनाथ बोस, सुखदेव, मणींद्रनाथ बनर्जी, सोहन सिंह भकना, क्रांतिकारी बंधु राजकुमार सिन्हा-विजय कुमार सिंन्हा, प्रताप सिंह बारहठ, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस और खुदीराम बोस शामिल हैं. यह पुस्तक निश्चित रूप से पठनीय और संग्रहणीय है. अनेक जीवनियों और संस्मरणों को खंगालने के बाद सुधीर विद्यार्थी ने शहीद क्रांतिकारियों की माताओं पर इस अनूठी कृति की रचना की है.

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आज की किताबः बिदाय दे मा!

संपादक: सुधीर विद्यार्थी

भाषा: हिंदी

विधा: शायरी

प्रकाशक: राजपाल एंड संस

पृष्ठ संख्या: 192

मूल्य: 325 रुपये


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार @jai_prakash1968 से सुनिए इस पुस्तक की चर्चा.