स्वर्ग पथ पर अग्रसर जब द्रौपदी थी गल रही
और विगत जीवन की सब स्मृतियां फिसल रही...कवि मृत्युंजय कुमार सिंह की यह शानदार कविता सुनें सिर्फ सहित्य तक पर.