सेज पड़ी मेरी आंखें आया, डाल सेज मुझे मजा दिखाया
किससे कहूं मजा मैं अपना, ऐ सखि साजन? नहीं सपना...भारत भूमि में जन्मे अमीर ख़ुसरो खड़ीबोली के प्रथम कवि, सूफ़ी-संत, दार्शनिक, इतिहासज्ञ और गणितज्ञ थे जिनका नाम मध्ययुगीन भारत में साहित्य, धर्म, अध्यात्म, इतिहास जैसे अनेक संदर्भों में बहुत गौरव के साथ लिया जाता है. अमीर ख़ुसरो उदार सूफ़ी साधना के प्रवर्तक, हिन्दू-मुस्लिम एकता के अग्रदूत, सांस्कृतिक-समन्वय के सेतुबंध, भारतीय संगीत के उन्नायक ही नहीं, बल्कि ‘जननी जन्मभूमि’ के प्रति अगाध प्रेम रखनेवाले पक्के राष्ट्र-प्रेमी भी थे. उनकी साहित्य-साधना का मूल-मंत्र ‘समन्वय’ ही रहा है. भाषा के क्षेत्र में, सांस्कृतिक क्षेत्र में, कविता के क्षेत्र में, सामाजिक क्षेत्र में और अन्य सभी क्षेत्रों में मानवतावादी दृष्टिकोण को रखकर सबका समन्वय करना ही उनका महान लक्ष्य रहा है. संपूर्ण हिंदी काव्य-भंडार में देश-प्रेम की भावना को इतने मार्मिक, प्रभावोत्पादक ढंग से अभिव्यक्ति देनेवाला कोई दूसरा कवि हमें नज़र नहीं आता. बहुमुखी प्रतिभा संपन्न अमीर ख़ुसरो के योगदान को समझने के लिए यह ग्रंथ बहुत सहायक है. डाॅ. मलिक मोहम्मद के कुशल संपादन में तैयार इस ग्रंथ में अमीर ख़ुसरो के व्यक्तित्व, कृतित्व के योगदान के विविध पहलुओं पर विद्वान् लेखकों द्वारा लिखे लेख सम्मिलित हैं.
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आज की किताबः अमीर ख़ुसरो भावात्मक एकता के अग्रदूत
संपादक: डाॅ. मलिक मोहम्मद
भाषा: हिंदी
विधा: शायरी
प्रकाशक: राजपाल एंड संस
पृष्ठ संख्या: 270
मूल्य: 399 रुपये
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.