राज़ मेरा हर किस्म का है छुपाती बालियां... Akshita | Mike ke Lal | Poetry Video | Open Mic | Tak Live Video

राज़ मेरा हर किस्म का है छुपाती बालियां... Akshita | Mike ke Lal | Poetry Video | Open Mic

एक सूखी चोट जैसी खुरदुरी सी बालियां

चमकी जबतक तू रहा, अब ज़ंग मेरी बालियां... साहित्य तक द्वारा आयोजित इंडिया टुडे मीडियाप्लेक्स स्थित ऑडिटोरियम में 'माइक के लाल' ओपेन माइक इवेंट में 'अक्षिता' द्वारा पढ़ी गई ये शानदार कविता आप भी सुनिए. यह प्रस्तुति इस प्रतिष्ठित साहित्यिक मंच द्वारा आयोजित 'जश्न-ए-ग़ालिब' में हुई थी. इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी साहित्य तक के सभी डिजिटल मंचों पर एक साथ किया गया था. आज से हम साहित्य तक- माइक के लाल' के तहत ओपन माइक में पढ़ी गई उन रचनाओं को यहां भी प्रसारित कर रहे हैं. अक्षिता की इस मंच पर सुनाई गई कविता 'राज़ मेरा हर किस्म का है छुपाती बालियां...' को आप भी सुन सकते हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. युवा प्रतिभाओं को मंच दिलाने की साहित्य तक की इस मुहिम से जुड़े रहिए, और हर दिन यहीं, इसी वक्त सुनिए माइक के लाल की उम्दा प्रस्तुतियां.