तुम्हें चांद चाहिए था
और
तुम उजालों में उलझती रही !
मुठ्ठी भर अंधेरे आंखों में बसाये रखने थे
ज्यूं काली पुतलियां चमकती
सफ़ेद मीन की तलहटी पर !
तुम प्रेम चाहती रही
और
उसकी शैली से अपरिचित रही !
नावाक़िफ रही
खैरख्वाह खुद की नज़र पर
ऊहापोह सी डगर पर
कौन स्थिर चल पाया, मगर !...यह पंक्तियां नीना सिन्हा के कविता- संग्रह 'मृणालिनी! तुम पंक से परे रहना' से ली गई हैं. इस संग्रह को बोधि प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. कुल 116 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 175 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.