ज़माना जिसके लिए एहतिमाम करता है
वो मेरे दिल के खंडर में क़याम करता है
ज़ईफ़ बाप से जो बात तक नहीं करता
अमीरे शहर को झुक कर सलाम करता है... नदीम फर्रुख ने मुशायरे में एक से बढ़कर एक शेर पेश किए. आप भी सुनिए यह शेर साहित्य तक पर.