कितना अजीब है
यह जानते हुए भी किसी के प्रेम में होना
कि हम कभी नहीं मिलेंगे
इससे भी अजीब है
यह जानते हुए
प्रेम में नहीं होना
प्रेम
हमें जानना कम
समझना ज़्यादा सिखाता है
मिलने के लिए
रास्तों से नहीं
मन से गुज़रना होता है... यह कविता आदित्य रहबर के कविता संग्रह 'नदियाँ नहीं रुकतीं' से ली गई हैं. इस संग्रह को पंक्ति प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. कुल 144 पृष्ठ समेटे इस संग्रह का मूल्य 175 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और अपराध कथा लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की कुछ कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.