प्रेमियों के हिस्से रात नहीं आती Aditya Rahbar की नदियाँ नहीं रुकतीं | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak | Tak Live Video

प्रेमियों के हिस्से रात नहीं आती Aditya Rahbar की नदियाँ नहीं रुकतीं | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak

कितना अजीब है

यह जानते हुए भी किसी के प्रेम में होना

कि हम कभी नहीं मिलेंगे

इससे भी अजीब है

यह जानते हुए

प्रेम में नहीं होना

प्रेम

हमें जानना कम

समझना ज़्यादा सिखाता है

मिलने के लिए

रास्तों से नहीं

मन से गुज़रना होता है... यह कविता आदित्य रहबर के कविता संग्रह 'नदियाँ नहीं रुकतीं' से ली गई हैं. इस संग्रह को पंक्ति प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. कुल 144 पृष्ठ समेटे इस संग्रह का मूल्य 175 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और अपराध कथा लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की कुछ कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.