आरती का अर्थ क्या है ख़ुद समझ जायेंगे लोग
जब अंधेरे रास्तों पर दीप रख आयेंगे लोग
ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी है राह का पत्थर नहीं
देखता हूं ज़िन्दगी को कैसे ठुकरायेंगे लोग
खोल दूंगा मैं भी अपने घर की सारी खिड़कियां
जब कभी बदली हुई आबो-हवा लायेंगे लोग
है विरोधी मानसिकता हर किसी की शह्र में
आप अगर सेहरा पढ़ेंगे, मर्सिया गायेंगे लोग
तुम मदद के वास्ते जब भी पुकारोगे यहां
देख लेना काग़ज़ी हमदर्दियां लायेंगे लोग...यह ग़ज़ल ज्ञान प्रकाश विवेक के ग़ज़ल- संग्रह 'लफ़्ज़ों का घर' से ली गई है, जिसका संपादन ओम निश्चल ने किया. इस संग्रह को सर्वभाषा ट्रस्ट ने 'सर्वभाषा ग़ज़ल सीरीज़' के तहत प्रकाशित किया है. कुल 120 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा ग़ज़लें सिर्फ़ साहित्य तक पर.