मुझे तोड़ दे कोई ग़म नहीं, मैं आईना हूं, टूट कर बिखरना जानता हूं...Mike ke Lal Kolkata | Sahitya Tak | Tak Live Video

मुझे तोड़ दे कोई ग़म नहीं, मैं आईना हूं, टूट कर बिखरना जानता हूं...Mike ke Lal Kolkata | Sahitya Tak

मैं परिंदा हूं, उड़ना जानता हूं

जी तो रहा हूं मगर मरना जानता हूं

मुझे तोड़ दे कोई ग़म नहीं

मैं आईना हूं, टूट कर बिखरना जानता हूं...Mike ke Lal Kolkata में तबरेज़ आलम की शानदार शायरी. सुनें साहित्य तक पर.