एक व्याख्यान, 500 रुपए! क्या था किस्सा? 'नंद चतुर्वेदी रचनावली' के संपादक Pallav से बातचीत | EP 94 | Tak Live Video

एक व्याख्यान, 500 रुपए! क्या था किस्सा? 'नंद चतुर्वेदी रचनावली' के संपादक Pallav से बातचीत | EP 94

* नंद चतुर्वेदी को क्या वह महत्त्व मिला, जिसके वे हकदार थे?

* इसका जिम्मेदार कौन है कि नई पीढ़ी नंद चतुर्वेदी जैसे अपने दिग्गज साहित्यकारों को नहीं जानती?

* नंद चतुर्वेदी की कविताएं क्या सिखाती हैं ?

* नंद चतुर्वेदी की कौन सी कविताएं महत्वपूर्ण हैं?

* नंद चतुर्वेदी से आलोचक पल्लव की पहली मुलाकात कैसे हुई?

* नंद चतुर्वेदी ने एक व्याख्यान के जब मांग लिए थे 500 रुपए. क्या था वह किस्सा?

* इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट से जब खुश हो गए थे नंद चतुर्वेदी?

* नंद चतुर्वेदी को आशुतोष क्यों कहते हैं?

राजकमल प्रकाशन से जब युवा आलोचक पल्लव के संपादन में चार खंडों में 'नंद चतुर्वेदी रचनावली' प्रकाशित हुई तो साहित्य तक के खास कार्यक्रम 'शब्द-रथी' में उनसे बातचीत करना बनता था. इसीलिए वे आज साहित्य तक स्टूडियो में हमारे साथ मौजूद हैं. नंद चतुर्वेदी की काव्य यात्रा लगभग एक शताब्दी की काव्य-यात्रा है. औपनिवेशिक-सामंती भारत से भूमंडलीकृत-आधुनिक भारत की इस सुदीर्घ यात्रा में भाषा और रूप में भी पर्याप्त बदलाव देखे जा सकते हैं. ब्रजभाषा के पारम्परिक सवैयों से प्रारम्भ कर नंद चतुर्वेदी अपनी कविताओं को जिस छंदमुक्त लय में आधुनिक भावबोध के साथ रचते हैं वह हिंदी काव्य भाषा के विकास का भी सुंदर उदाहरण है.

पल्लव ने परिश्रमपूर्वक 'नंद चतुर्वेदी रचनावली' का संपादन किया है. पहले खंड में कवि का समूचा काव्य संसार आ गया है. इसमें उनके सभी प्रकाशित संग्रहों की कविताओं के साथ-साथ अप्रकाशित अनेक कविताएं और गीत- छंद इत्यादि भी मौजूद हैं.

रचनावली के दूसरे खंड में 'चिंतन-आलोचना-समीक्षा' का गद्य संकलित किया गया है. पुस्तक में संकलित गद्य को पढ़ना नंद बाबू के काव्य सरोकारों को समझने का रास्ता देता है.

कथेतर की विभिन्न विधाओं से संकलित तीसरे खंड में नंद चतुर्वेदी की रचनाशीलता के अनेक रूप विद्यमान हैं, जो कवि के व्यापक दाय का प्रमाण बन गए हैं.

रचनावली के चौथे और अंतिम खंड में मुख्यतः कवि का अनुवाद कर्म है. नंद बाबू ने कविता और गद्य, भारतीय और विदेशी, जो जब पसंद आया उसका अनुवाद किया है.

पल्लव ने परिश्रमपूर्वक 'नंद चतुर्वेदी रचनावली' का संपादन किया है. राजकमल प्रकाशन ने चार खंडों में इसे प्रकाशित किया है. पल्लव की भूमिका नंद चतुर्वेदी के कृतित्व को गहराई से जानने-समझने के लिए आकृष्ट करती है. सभी चार खंडों का मूल्य है 2500 रुपए. सुनिए 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में पल्लव संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह दिलचस्प बातचीतर.