हुलो परिया की कहानी
दोहरायी जाएगी-
ऐसा इक्कीसवीं सदी के मनुष्य ने कहा
और पुरखों की स्मृति में लौट गया...
उसके नेत्र ने समुद्र की एक बूंद दुलकायी
जो पृथ्वी को शीतल करने के लिए काफ़ी नहीं थी...कवयित्री पार्वती तिर्की की बेहतरीन रचना सुनिए सिर्फ साहित्य तक पर.