मुसलसल होते ही टूटा
ऐसा क्या था मेरा दिल
ना इश्क़ हुआ मुकम्मलन बना पाए मुस्तक़बिल...साहित्य तक द्वारा आयोजित इंडिया टुडे मीडियाप्लेक्स स्थित ऑडिटोरियम में 'माइक के लाल: सीज़न-3' ओपेन माइक इवेंट में ' सचिन' द्वारा पढ़ी गई ये शानदार कविता आप भी सुनिए. इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी साहित्य तक के सभी डिजीटल मंच पर एक साथ किया गया था. आज से हम साहित्य तक- माइक के लाल' के तहत ओपेन माइक में पढ़ी गई उन रचनाओं को यहां भी प्रसारित कर रहे हैं. सचिन की इस मंच पर सुनाई गई नज़्म 'शायर बनते नहीं बर्बाद होते हैं' को आप भी सुन सकते हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. युवा प्रतिभाओं को मंच दिलाने की साहित्य तक की इस मुहिम से जुड़े रहिए, और हर दिन यहीं, इसी वक्त सुनिए माइक के लाल की उम्दा प्रस्तुतियां.