प्यास बुझाते हैं वैसे मिलीं, मुझे तुम.. Amber Pandey की 'रुक्मिणी-हरण और अन्य प्रेम कविताएँ' | EP699 | Tak Live Video

प्यास बुझाते हैं वैसे मिलीं, मुझे तुम.. Amber Pandey की 'रुक्मिणी-हरण और अन्य प्रेम कविताएँ' | EP699

उन वन्य लताओं सरीखी जिसमें जल का अक्षय स्त्रोत

होता है जिसे काटकर अरण्य में दिग्भ्रमित जन

प्यास बुझाते हैं वैसे मिलीं

मुझे तुम

हमारे सम्बन्ध की

व्युत्पत्ति मेरे शरीर में है

उतनी देर रुका रहा

जितने समय पीता रहा जल और फिर निकल पड़ा

जंगल में ढूँढ़ता नदी को जंगल में नदी मिलनी ही थी...

___________________

आज की किताबः रुक्मिणी-हरण और अन्य प्रेम कविताएँ

लेखक: अम्बर पाण्डेय

प्रकाशक: वाणी प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 128

मूल्य: 225 रुपए


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.