* क्या राधा मायावी थीं?
* क्या राधा- कृष्ण का प्रेम दैहिक था?
* क्या राधा ने श्री कृष्ण को अपनी गोद में खिलाया था?
* क्या राधा अपने पति से नाखुश थीं?
* शादीशुदा राधा ने श्री कृष्ण से प्रेम क्यों किया?
* राधा को श्री कृष्ण से अपने संबंधों के चलते कौन सी सजा मिली?
* किसी पुरातन पौराणिक ग्रंथ में राधा का उल्लेख न होने का क्या कारण है?
* क्या नवजात शिशु यौन इच्छा (Sexual desire) की भावना के साथ पैदा होता है?
* क्या बरसाना की लट्ठमार होली को Sublimated sexual violence अर्थात उदात्त यौन हिंसा से प्रेरित कहा जा सकता है?
साहित्य तक स्टूडियो के हमारे खास कार्यक्रम 'शब्द-रथी' आज हाल ही में प्रकाशित पुस्तक 'Radha: The Princess of Barsana' की लेखिका नीलिमा डालमिया आधार मौजूद हैं. उन्होंने अपनी इस पुस्तक पर चर्चा के दौरान ऐसे बहुतेरे प्रश्नों के उत्तर दिए. नीलिमा अंग्रेजी की लेखिका हैं और एक बेहद समृद्ध उद्योगपति परिवार में पैदा हुईं. इस पुस्तक से पहले वे 'फादर डियरेस्ट: द लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ आरके डालमिया', 'द मर्चेंट्स ऑफ़ डेथ' और 'द सीक्रेट डायरी ऑफ़ कस्तूरबा' जैसी बेस्टसेलिंग पुस्तकें लिख चुकी हैं.
'Radha: The Princess of Barsana' के माध्यम से नीलिमा प्रेम की अप्रतिम मूर्ति राधा की जिंदगी से जुड़ी ऐसी कहानियों को उजागर करती हैं, जो बेहद जटिल है. यह जितनी रोमांचक है, उतनी ही आध्यात्मिक भी. यह दैहिक भी है और आत्मिक भी. कामुक, उद्दाम और संवेदनशील तो है ही. इस पुस्तक के बहाने नीलिमा अपने काम्य पुरुष की हर स्त्री की आदिम इच्छा का उत्सव मनाती हैं.
यह पुस्तक बताती है कि बरसाना की राजकुमारी राधा की शादी गोप वंश के छोटे मुखिया अयान गोप से हुई थी. लेकिन वह लगातार बेचैन रहती हैं, क्योंकि अयान बचपन से ही उनके सपनों में दिखने वाला वह सांवला सहचर नहीं है.
राधा कृष्ण की मामी थीं, यानी यशोदा की भाभी. जब राधा पहली बार शिशु कृष्ण को गोद में लेती हैं, तो उन्हें अपनी आत्मा, शरीर और नसों में उनके लिए चुंबकीय खिंचाव महसूस होता है. वे अपने बीच के उस अनदेखे, वास्तविक बंधन को महसूस करती हैं.... और जैसे-जैसे कृष्ण बड़े होते जाते हैं, वे भी राधा के लिए समान, सहज और उद्दाम आकर्षण की लालसा प्रकट करते हैं. धीरे-धीरे राधा जानने लगती हैं कि उनका रिश्ता कई जन्मों का है, इस जन्म का नहीं. लेकिन अयान गोप इसे इस तरह नहीं देखते हैं - उनके लिए, राधा एक नीच व्यभिचारिणी है जिसने खुद को दूसरे आदमी को सौंपकर गोप वंश के सम्मान को नष्ट कर दिया है. पर वह कभी भी राधा को रंगे हाथ पकड़ नहीं पाता. कृष्ण से उनका संबंध दैहिक, दैविक, लौकिक, आत्मिक किसी भी परिभाषा के पार पहुंच जाता है. कृष्ण के मथुरा जाने के बाद उन्हें गांव की पंचायत का सामना करना पड़ता है, जिस पर अपने से तेरह साल छोटे किशोर के साथ अवैध और निंदनीय संबंध का आरोप है.... लेकिन राधा अपने संबंधों को स्वीकारने के बावजूद भी यह मानने से इनकार कर देती हैं कि नीले गर्दन वाले देवता कृष्ण के लिए उसका प्यार अवैध है. राधा: द प्रिंसेस ऑफ़ बरसाना में नीलिमा डालमिया आधार ने राधा और कृष्ण की अमर प्रेम कहानी को उसकी गरिमा के साथ मानवीय दृष्टि से देखा और लिखा है. इस पुस्तक को वेस्टलैंड प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. जिसकी पृष्ठ संख्या है 265 और मूल्य है 599 रुपए.
सुनिए 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में नीलिमा डालमिया आधार संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह दिलचस्प बातचीत.