मैं जुगनुओं को मुंह लगा के उलझनों में पड़ गया
ये बेवकूफ मुझसे आफ़ताब मांगने लगे
सुख़नवरों ने ख़ुद बना दिया सुख़न को एक मज़ाक
ज़रा-सी दाद क्या मिली ख़िताब मांगने लगे...राहत इंदौरी चुपके से इशारा कर समझा गए पूरा शेर. आप भी सुनिए ये मज़ेदार शायरी सिर्फ़ साहित्य तक पर