Mithila Chitrakala को तफसील से बताती Rakesh Kumar Jha की 'मिथिला चित्रकला का सिद्धांत' | Sahitya Tak | Tak Live Video

Mithila Chitrakala को तफसील से बताती Rakesh Kumar Jha की 'मिथिला चित्रकला का सिद्धांत' | Sahitya Tak

क्या आपको पता है कि सदियों से मिथिला के लोकजीवन और परंपरा में रची-बसी मिथिला चित्रकला दुनिया के सामने एक बड़ी आपदा की वजह से सामने आई? केवल इतना ही नहीं अपनी कला उत्कृष्टता से सबका मन मोह लेने वाली यह चित्रकला जीवन के सभी उत्सवों के अलावा भित्तिचित्र, अल्पना, देहचित्र, तंत्र, पंचमकार, दस महाविद्या, रुद्रावतार और दशावतार को भी बेहद बारीकी से उनके दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं और रूपों, मानकों, आस्थाओं के साथ उकेरती है?

यदि आप कला में रुचि रखते हैं, कला के छात्र हैं या विशेष तौर से भारतीय लोक कला से जुड़े हैं तो आज का यह बुक कैफे आपके लिए बेहद ख़ास है. क्योंकि आज 'एक दिन एक किताब' में बिहार प्रांत के मधुबनी जिले में जन्मे राकेश कुमार झा द्वारा लिखित पुस्तक 'मिथिला चित्रकला का सिद्धांत: मिथिला स्कूल ऑफ आर्ट भाग 1' की चर्चा हो रही है. आपको बता दें कि यह पुस्तक विश्व प्रसिद्ध भारतीय लोक कला मधुबनी पेंटिंग या मिथिला पेंटिंग के सैद्धांतिक विश्लेषण पर आधारित है.

मिथिला, बिहार के समृद्ध सांस्कृतिक क्षेत्र के रूप में ख्यात है. मिथिला पेंटिंग- मैथिली समाज की चित्रात्मक अभिव्यक्ति है, इसलिए इस पुस्तक में मौजूद सभी तथ्य मिथिला की सामाजिक एवं सांस्कृतिक मान्यताओं के आधार पर लिखे गए हैं. अब तक जितने भी लेखकों ने मिथिला पेंटिंग पर किताबें लिखी हैं, उन्होंने कहीं न कहीं मिथिला पेंटिंग के चित्रात्मक पहलू पर ज़रूर बात की है, लेकिन यह पहली पुस्तक है, जो मिथिला पेंटिंग के सैद्धांतिक पक्ष पर प्रामाणिकता के साथ लिखी गई है.

मिथिला पेंटिंग में किस विषय का चित्रण कब, कहां, क्यों और कैसे किया गया है? इन सभी प्रश्नों का स्पष्ट और विस्तारपूर्वक उत्तर इस पुस्तक में देखने को मिलता है. आज बुक कैफे के 'एक दिन एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने राकेश कुमार झा की पुस्तक 'मिथिला चित्रकला का सिद्धांत: मिथिला स्कूल ऑफ आर्ट भाग 1' की चर्चा की है. मिथिला स्कूल ऑफ आर्ट फाउंडेशन से प्रकाशित इस पुस्तक में कुल 162 पृष्ठ हैं और इसका मूल्य 551 रुपए है.