राम ही आरंभ हैं
और राम ही में अंत है
पढ़ सके हैं रोज़ हम
राम ही वो ग्रंथ हैं...राममयी माहौल के बीच सुनें अभिषेक त्रिपाठी की यह सुंदर रचना सिर्फ साहित्य तक पर.