तुम जीत गए मैं हार गया,
बाज़ी मैं समझ नहीं पाया
अपनों से उलझ नहीं पाया
यह जीते - जीते मार गया
तुम जीत गए मैं हार गया ...साहित्य तक स्टूडियो में आज सुनें प्रो. संगीत कुमार रागी की यह बेहतरीन कविता.