मां हंस वाहिनी आ जाओ रस बूंद-बूंद बरसा जाओ...कवि शिव किशोर तिवारी खंजन ने मां शारदे को समर्पित एक रचना पेश की. साहित्य तक पर आप भी सुनिए.