लबे दरिया ज़बां से तर करेंगे
अभी तलवार में पानी कम है
यहां ऐसे ही हम कब बैठ जाते
तेरे कूचे में वीरानी बहुत है
तेरी आंखें ख़ुदा महफूज़ रखे
तेरी आंखों में हैरानी बहुत है...शीन काफ़ निज़ाम की यह शायरी सुने सिर्फ साहित्य तक पर.