फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के स्टीव जॉब्स, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी फिल्म अदाकारा अनुष्का शर्मा जैसे लोगों की आस्था के केंद्र रहे बाबा नीम करौली के बारे में कहानियों की कमी नहीं है. उनका मूल आश्रम नैनीताल के कैंचीधाम, वृंदावन, ऋषिकेश, शिमला, फर्रुखाबाद में खिमासेपुर के पास नीम करौली गांव में है. इसके अलावा भूमिआधार, हनुमानगढ़ी और दिल्ली-मुंबई में भी उनके आश्रम हैं. डॉ जया प्रसाद ने नमिता गोखले के कहने पर उस आश्रम से जुड़े अनुभवों और श्री सिद्धि माँ पर अंग्रेजी में एक किताब लिखी 'Sri Siddhi Ma: The Story Of Neem Karoli'. यह पुस्तक अब हिंदी में 'श्री सिद्धि मां: कथा सुधा नीम करोली बाबा की आध्यात्मिक धरोहर की' नाम से प्रकाशित हुई है.
श्री सिद्धि माँ ने बाबा नीम करोली की आध्यात्मिक विरासत ग्रहण की थी. डॉ जया प्रसाद ने अपने जीवन के सैंतीस वर्ष श्री सिद्धि मां के सन्निकट व्यतीत किए और उन्हीं अनुभवों को इस पुस्तक में संजोया है. लखनऊ विश्वविद्यालय से परास्नातक और रोहिलखंड विश्वविद्यालय से प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी पर पीएचडी की उपाधिधारी डॉ प्रसाद समय-समय पर कैंची धाम और नैनीताल के अपने घर तीर्थम के बीच आवाजाही करती रही हैं. इसी आश्रम में श्री सिद्धि मां ने दिसंबर 2017 में महासमाधि ली थी. आश्रम से जुड़े अपने अनोखे अनुभवों को साझा करते हुए, उन्होंने बड़ी सुंदरता से श्री सिद्धि मां को अपनी लेखनी के माध्यम से श्रद्धांजलि दी है. श्री माँ ने नीम करोली बाबा की उत्कृष्ट विरासत को अपनी भक्ति की पवित्रता से प्रतिबिम्बित किया है. पूरे विश्व में बाबा नीम करोली के नाम से विख्यात होने होने वाले महाराजजी के कथनानुसार 'मानव सेवा ही माधव सेवा है'. पूर्व एवं पश्चिम में असंख्य लोगों ने उनके सरल प्रेम और करुणा से आकर्षित हो, उनके प्रति भक्ति का वरदान पाया.
बाबा महाराज की आध्यात्मिक धरोहर का बीड़ा उठाने का उत्तरदायित्व उनकी परम शिष्या कैंची की शान्तमना संत श्री सिद्धि माँ को प्राप्त हुआ. श्री माँ के सानिध्य में बीते जया प्रसाद के जीवन के उत्कृष्ट संस्मरणों के हर शब्द में जहां माँ की दिव्यता और उनके प्रति अपार स्रेह झलकता है, वहीं महाराजजी की परम सत्ता का सार भी समाया हुआ दिखता है. आज बुक कैफे के 'एक दिन एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने जया प्रसाद की इसी पुस्तक 'श्री सिद्धि माँ' की चर्चा की है. यह पुस्तक अंग्रेजी में 'Sri Siddhi Ma: The Story Of Neem Karoli' नाम से पेंगुइन से प्रकाशित हो चुकी है. जिसका हिंदी अनुवाद अब 'श्री सिद्धि मां: कथा सुधा नीम करोली बाबा की आध्यात्मिक धरोहर की' नाम से पेंगुइन रैंडम हॉउस इम्प्रिंट के तहत हिन्द पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित है. 224 पृष्ठ की इस पुस्तक का मूल्य 299 रुपए है.