किसी की आंख का हम नूर बन गए होते
पलट के फिर से तेरे दर न जो गए होते... 'साहित्य आज तक लखनऊ 2024' में आयोजित माइक के लाल में सुनें कौस्तुभ अवस्थी की शायरी.