हज़रात, अर्ज़ है कि
अपने कारोबार की मैं कोई पब्लिसिटी
तो करता नहीं, ब्राॅडकास्ट तो करता नहीं कि
प्राइवेट डिटेक्टिव सुधीर कोहली अपनाइए,
क्योंकि यही सर्फ़ से धुला है
और आखिरी कश तक मज़ा देता है.
मेरा कारोबार तो ग्राहक की-क्लाइंट-की-संतुष्टि को सर्वोपरि मानने से चलता है
और आप जानते ही हैं कि,
एक संतुष्ट ग्राहक दूसरे ग्राहक को भेजता है..
बात का लुब्बोलुआब ये है कि मेरा कारोबार सिर्फ़ और सिर्फ़
माउथ टु माउथ पब्लिसिटी से चलता है... यह पंक्तियां जाने-माने अपराध कथा लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक के नवीनतम उपन्यास 'पांच दिन- सुधीर सीरीज़-23' का अंश है. इस उपन्यास को हिन्द युग्म ने प्रकाशित किया है. इस उपन्यास में कुल 399 पृष्ठ हैं और इसका मूल्य 299 रुपए है. अपनी आवाज से किसी भी कृति को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और अपराध कथा लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इसी उपन्यास का एक अंश सिर्फ़ साहित्य तक पर.