मुश्किल थी संभलना ही पड़ा घर के वास्ते
फिर घर से निकलना ही पड़ा घर के वास्ते
मजबूरियों का नाम हमने शौक रख दिया
हर शौक बदलना ही पड़ा घर के वास्ते... चर्चित युवा कवि स्वयं श्रीवास्तव की शानदार रचना आप भी सुनें सिर्फ़ साहित्य तक पर.